कौन है अरुण योगीराज ?
अरुण योगीराज मैसूर के रहने वाले प्रसिद्ध मूर्तिकारों मे से एक है ,उनके पिता योगीराज शिल्पी भी एक बेहतरीन मूर्तिकार है ,और उनके दादा बसवन्ना सिलपी को मैसूर के राज्य का संरक्षण मिल था ,अरुण योगिराज अपने परिवार की पाचवी पीढ़ी के मूर्तिकार है |ये वही योगीराज है जिन्हे राम जी की मूर्ति बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है
कितना पढे है अरुण योगीराज और क्या थी दादा की भविष्यवाणी ?
मूर्तिकार परिवार से तालुक रखवाने वाले अरुण योगिराज बचपन से ही मूर्तिकार बनना चाहते थे ,हलकी उनके दादा ने कहा था की अरुण एक मूर्तिकार ही बनेगा और अंत मे वही हुआ “अरुण एक मूर्तिकार बने और ऐसा कलाकार बने की साक्षात रामलाल की मूर्ति बनाई ,अरुण योगिराज मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई पूरी की और करियर की सुरुआत एक प्राइवेट कंपनी से किया और बाद मे अपनी नौकरी 2008 मे छोड़ कर मूर्ति कला के क्षेत्र मे काम करना सुरू किया
मूर्तिकार के क्षेत्र मे परवेश कैसे हुआ ?
अरुण योगीराज ने अपनी मूर्ति के क्षेत्र मे 2008 से परवेश किया उन्होंने दिल्ली के इंडिया गेट पर अमर जवान सुभाष चंद्र बोस की 30 फिट ऊंची प्रतिमा बनाई थी |उसके अलावा केदारनाथ धाम मे अस्थापित आदि शंकराचार्य की 12 फिट ऊंची प्रतिमा भी बनाई थी ,एसके साथ ही मैसूर मे 21 फिट ऊंची हनुमान प्रतिमा को भी बनाया था
अरुण योगीराज की उपलबधिया
मैसूर जिला प्रशासन ने नकवाड़ी पुरस्कार 2020,कर्नाटक सिलप परिषद ने 2021 मे मानद सदस्यता ,भारत सरकार द्वारा साउथ ज़ोन टैलेंट आर्टिस्ट अवॉर्ड 2014 और भी बहुत उपलबधिया है
अरुण योगीराज ने रामलला की मूर्ति का निर्माण श्याम शिला पत्थर को तराश कर किया है। रामलला की मूर्ति की ऊंचाई 4.24 फीट है, जो दिखने में काफी भव्य है। मूर्ति का वजन करीब 200 किलोग्राम है। मूर्ति में भगवान राम के कई अवतारों को तराशा गया है। कण